ये आवाजें
आज फिर अंदर से एक आवाज आई,
आज फिर मैंने खुद को सवालों से घिरा पाया ,
आज फिर मैं सोचने को मजबूर हुई ,
आज फिर !
मेरे मन में चल रही आँधी उभर आई !!
इन आवाजों ने कभी नहीं बताया,
इन्हें क्या चाहिए ,
इन सवालों ने कभी नहीं बताया,
ये जानना क्या चाहते हैं ।
इन आँधियों ने कभी नहीं बताया ,
ये उमड़ किसके लिए रही है ,
पर आज फिर मैं इन सब से जूझ रही हूँ ,
जूझ रही हूँ, ,
मेरे अंदर उमड़ रही हूँ इन भावनाओं को ,
समझने के लिए,
इनसे लड़ने के लिए ,
इनको दबाने के लिए ,
पर !
जीत किसकी होगी पता है मुझे,
कौन हार कर आंसूओं से जी बहलायेंगा ,
पता है मुझे ,
कौन खुद को कोस कर रह जाएगा ,
पता है मुझे ,
कौन खुद को अकेला कमजोर समझ कर सहम जाएगा ,
पता है मुझे ,
वर्षो से तो गुजर रही हूँ ,
इन वेदनाओं से ,
अक्सर तो जुझती रहती हूँ इन परिस्थितियों से,
परिणाम कैसे नहीं पता होगा............
---- KOMAL
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